Details, Fiction and aaj ka rahu kaal



In this type of situation, we could lookup the Hora Chakra in the Indian Jyotish Shastra by ourselves. The Hora Chakra tells us in regards to the auspicious and inauspicious dates and timings, which we can easily use to uncover favourable dates and time to produce crucial selections.

This early early morning interval is considered very auspicious for engaging in meditation, prayers, along with other spiritual practices.

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दोस्तों यहां हम इस बात का जिक्र इसलिए कर रहे हैं क्योंकि हमारा देश त्योहारों का देश है, जहां साल भर अलग-अलग त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाए जाते हैं.

When the working day of Purnima is ruled through the Moon and is nice for offering hearth sacrifice, carrying out any great perform, setting up a different undertaking and celebrating any festivity. The two Poornima and Amavasya commences the moment in a month. 

अमावस्या व्रत करने से सफलता, समृद्धि, स्वास्थ्य, धन और प्रेम काआशीर्वाद मिलता है।

यह हिंदू पंचांग की पांचवी तिथि है. पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद, इस प्रकार यह मास में दो बार आती है. इसे पूर्णा के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस तिथि में शुरू किए गए कार्यों में विशेष फल मिलता है. इस तिथि के स्वामी नाग देवता है.

पूर्णा तिथि – इस तिथि में पंचमी, दशमी और पूर्णिमा तिथियां शामिल हैं। इन तिथियों में मंगनी, विवाह, भोज आदि किए जा सकते हैं।

त्यौहार हमारे जीवन का अहम हिस्सा हैं, त्यौहारों में हमारी संस्कृति की महकती है। त्यौहार जीवन का उल्लास हैं त्यौहार...

शुक्ल पक्ष एकादशी (शयनी एकादशी, देवशयनी एकादशी, आषाढ़, शुक्ल एकादशी)

इसी प्रकार नंदा को शुक्रवार, भद्रा को बुधवार, जया को मंगलवार, रिक्ता को शनिवार तथा पूर्णा को गुरुवार हो तो तिथि को सिद्धा कहा जाता है। गुरुवार को पड़ने वाली तिथि कष्टकारी योग बनाती है। इसके अंतर्गत किए गए कार्य जातकों को हानि पहुंचाती है। इसी प्रकार चैत्रमास में दोनों पक्षों की रिक्ता तिथि नवमी, ज्येष्ठ मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी, कार्तिक मास में शुक्लपक्ष की चतुर्दशी, पौषमास में दोनों पक्षों की चतुर्थी, फाल्गुन मास में कृष्णपक्ष की चतुर्थी, शून्य तिथियां होती हैं। इन तिथियों में शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।

बृहस्पतिदेव की कथा

हर एक तिथि का एक नाम है, एक ग्रह और मुहूर्त में इसका विशेष स्थान है। मुहूर्त में इसके स्थान को जानने के लिए सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि नक्षत्र और तिथि दोनों अलग-अलग हैं। चूंकि दोनों ही एक दूसरे से जुड़े हुए हैं तो हमें दोनों को जानने की आवश्यकता है। तिथि जल तत्व है और यह हमारे मस्तिष्क-मन की स्थिति दिखाती है। नक्षत्र वायु तत्व है और यह हमारे मन द्वारा किए गए या किए जाने वाले अनुभवों के बारे में बताता है। तिथि हमारे भविष्य के सफल-असफल कार्यों की ओर इशारा करता है। इसके माध्यम से हमें इस बात का here पता चलता है कि हमारे द्वारा किसी कार्य की पूर्ति होगी या नहीं। मनुष्य की जन्म कुंडली में तिथि, जल ओर शुक्र से प्रभावित रहती है। यह हमारी रुचि के बारे में बताती है। जन्म कुंडली में तिथि अति आवश्यक हिस्सा है। यह हमारे रिश्तों-संबंधों के बारे में और उनके प्रति हमारे व्यवहार के बारे में बताती है।

द्वादशी (बारस) – इस तिथि के देवता भगवान विष्‍णु हैं. इसमें भगवान विष्‍णु जी की पूजा करने से मनुष्य समस्त सुखों को भोगता है, साथ ही सभी जगह पूज्य एवं आदर का पात्र बनता है.

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